संतों की संगत उस इत्र की तरह होती है जिसे भले ही बदन पर ना लगाये , तब भी उसकी महक से दिल अवश्य आनंदित होता है । आपकी आभारी विमला विल्सन जय सच्चिदानंद
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संतों की संगत उस इत्र की तरह होती है जिसे भले ही बदन पर ना लगाये , तब भी उसकी महक से दिल अवश्य आनंदित होता है । आपकी आभारी विमला विल्सन जय सच्चिदानंद