
कुछ उसमें से मोती ढूंढते है
कुछ उसमें से मछली ढूंढते है
और कुछ सिर्फ अपने पैर गीले करते है
ज़िदगी भी समुद्र की भांति ही है
यह सिर्फ हम पर ही निर्भर करता है कि
इस जीवन रुपी समुद्र से हम क्या पाना चाहते है,
हमें क्या ढूंढ़ना है ?

दूध,दही,मक्खन,घी,छाछ सब एक कुल के होकर भी अलग अलग कीमत के है क्योंकि
श्रेष्ठता जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्म ,अपनी कला और अपने गुणों से प्राप्त होती है
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानन्द 🙏🙏