
रिश्तों में कुछ सरसराहट बाँटिये
नीरस सी हो चली है ज़िन्दगी बहुत,
थोड़ी सी इसमें शरारत बाँटिये
सब यूँ ही भाग रहे हैं परछाइयों के पीछे
अब सुकून की कोई इबादत बाँटिये
ज़िन्दगी यूँ ही न बीत जाये गिले शिकवों मे
बेचैनियों को कुछ तो राहत बाँटिये.

जो बदला ना जा सके उसे स्वीकार कर लीजिये
और जो स्वीकारा न जा सके उससे दूर हो जाइये
लेकिन खुद को खुश रखिये
अपने आप को ख़ुश , प्रसन्न और शांत रखना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏