
गलती को मानना बहुत बडी बहादुरी है
जो लोग अपनी भूल को स्वीकार करते हैं,
वे क्रमशः सुधरते और आगे बढते जाते है
गलती को मानना और उसे सुधारना यही आत्मोन्नति का सन्मार्ग है

निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को ना छोड़ें क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏