विचारणीय योग्य बात
धर्म या परमात्मा के लिये आपने जिन्दगी मे कौनसा समय तय कर रखा है ?
शरीर मे शक्ति है तब या शरीर बूढ़ा या अशक्त हो जाये तब
लेकिन अधिकांश लोगो ने धर्म का समय बुढापे के लिये रखा है व ताकत का समय संसार के लिये रखा है ।
क्यो नही धर्म को अलग से करने की बजाय प्रत्येक कर्म को धर्ममय करे
आज हमारी प्रार्थनाये सिर्फ क्रिया बन कर रह गई है
क्यो नही हम अधिक से अधिक प्रयास करे कि प्रत्येक क्रिया प्रार्थना जैसी हो जाए ।
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏