भलई कम “रिश्ते” बनाये
पर जितने भी बनाये
उन्हे “सच्चे दिल” से निभाये
आशाएं ऐसी हों जो मंज़िल तक ले जाये
मंज़िल ऐसी हो जो जीवन जीना सिखा दे
जीवन ऐसा हो जो रिश्तों की कदर करे
और रिश्ते ऐसे हों जो याद करने को मज़बूर कर दें
काश ऐसी बरसात आ जाये
जिसमे अहं डूब जाये
मतभेद के किले ढह जाये
गुस्से की अग्नि बुझ जाये
नफरत की ऑधी दफन हो जाये और
हम सब “मै” से “हम” हो जाये
क्यो इतना वक्त गुजारते हो खुद को देखते हुये आइने मे
कुछ वक्त बैठो प्रभु के सामने
खूबसूरत हो जाओगे सही मायने मे
जिन्दगी की राहों को हमेशा मुस
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏