ग़ुस्से की हालत में कोई फ़ैसला मत कीजिए और खुशी की हालत में कोई वादा
हो सकता है कि दोनों ही स्थितियों में या तो घाटे का सामना करना पड़े या पछताने का
ग़ुस्सा और तूफ़ान दोनों एक जैसे हैं
ठंडा होने के बाद ही पता चलता है कितना नुक़सान हुआ है
हमारे जीवन के दो प्रबल शत्रु
क्रोध और चिंता
क्रोध से विवेक का नाश होता है तो चिन्ता से मनोबल का
क्रोध से शांति का नाश होता है तो चिंता से सौंदर्य का
आपकी आभारी विमला विल्सन
जयसच्चिदानंद🙏🙏