काम ऐसा करे कि पहचान बन जाए,
कदम एसे चलें कि निशान बन जाए
सदगुणो की शुरुआत स्वयं से ही करनी होती है
जब तक खुद की उंगली पर कुमकुम नहीं लगेगा,
तब तक दूसरे के ललाट पर तिलक कैसे लगाओगे..
अच्छे संस्कार किसी मॉल से नही
परिवार के माहौल से मिलते है
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏