मंज़िल चाहे कितनी भी क्यों ना ऊँची हो,
रास्ता हमेशा पैरों के नीचे होता है
धन तभी सार्थक है
जब धर्म भी साथ हो
विशिष्टता तभी सार्थक है
जब शिष्टता भी साथ हो
सुंदरता तभी सार्थक है
जब चरित्र भी शुद्ध हो
रिश्तों का होना तभी सार्थक है.जब उसमें प्यार और विश्वास हो
उन व्यक्तियों के जीवन में आनंद और शांति कई गुणा बढ़ जाती हैं…
जिन्होंने प्रशंसा और निंदा में एक जैसा रहना सीख लिया हो…
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏