सूखे हुए पतों की तरह मत बनाओ अपनी जिन्दगी नही तो दुनिया में ऐसे बहुत लोग है , जो बटोर कर आग लगा देते है
अकाल हो अनाज का, तब मानव मरता है
मगर अकाल हो संस्कारों का तो,मानवता मरती है
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं और
ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं
वक्त, ऐतबार और इज्जत ऐसे परिंदे हैं
जो एक बार उड़ जायें तो वापस नहीं आते
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏