भीतर क्षमा हो, तो क्षमा निकलेगी
भीतर क्रोध हो, तो क्रोध निकलेगा
भीतर प्रार्थना हो, तो प्रार्थना निकलेगी
भीतर नफरत हो, तो नफरत निकलेगी
इसलिए जब भी कुछ बाहर निकले, तो दूसरे को दोषी मत ठहराना…
यह हमारी ही संपदा है जिसको हम अपने भीतर छिपाए हैं…
झाँक रहे है इधर उधर सब
अपने अंदर झांकेंकौन ?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँमें कमियां
अपने मन में ताके कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते
खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा
यह सीधी बात स्वीकारे कौन?
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानन्द 🙏🙏