जब दर्द और कड़वी बोली
दोनों सहन होने लगे
तो समझ लेना की
जीना आ गया
प्रतिभा ईश्वर से मिलती है
नतमस्तक रहें..
ख्याति समाज से मिलती है,
आभारी रहें..
लेकिन
मनोवृत्ति और घमंड
स्वयं से मिलते हैं,
सावधान रहें..
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏