खिलाइये – आए को रोटी ,चाहे पतली हो या मोटी
पिलाये – प्यासे को पानी ,चाहे जो कुछ हो जाए
करिये – आये का मान ,जाते का सम्मान
सीखिये – बडो की सीख ,बुजुर्गों की रीत
जाइये – दुख में पहले, सुख में पीछे
देखिए – माता का ममत्व ,पत्नी का धर्म
भगाए – मन के डर को ,
सुनिये – सबकी ,करिये मन की
बोलिये – ज़ुबान संभालकर ,थोड़ा बहुत पहचानकर
रखिये – याद कर्ज़ को चुकाने कि ,मर्ज को मिटाने की
भूलिये – अपनी बढ़ाई को ,दूसरों की भलाई को
लीजिये – जिम्मेदारी उतनी संभाल सके जितनी
रखिये – चीज जगह पर , जो मिल जाये समय पर
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏