छोटी खुशियॉ की आये दिन दरवाज़े पर दस्तक होती कल रात दरवाज़े पर बड़ी खुशियॉ की दस्तक पड़ी
सामने खडी थी जिन्दगी की खुशियॉ बड़ी
मैने बडी खुशियॉ से कहा कि
छोटी छोटी खुशियॉ से बन गई मेरी खुशियॉ बडी
तू वहॉ जा जहॉ जिनको तेरी मुझसे से भी ज्यादा जरूरत है ।
गरीब ,लाचार , प्राकृतिक विपदाओ से हुये
बेहाल ,बेघर वालों के घर को सजा
बेबस बूढे ,अनाथ , विधवाओं के
दर्दी ऑखो मे ख़ुशियों के फूल खिला
गर्मी मे झुलसते , सर्दी मे ठिठुरते बच्चे बड़ों को राहत की साँस दिला
भूख से बिलखते , कपड़े को तरसते
भूखे नंगे को रोटी ,कपड़ा दिला
विरही जिनके दिल मे जल रहे ऑसू के दिये
उनके दिल मे खुशियॉ की लौ को जला
और इन सबसे से भी ज्यादा वहॉ जरूरी
जहॉ सिर पर कफ़न बॉधे खड़े प्रहरी
और कर रहे है देश की रखवाली
और कर रहे दुश्मन का दमन
उन शहीद वीर बहादुरो के परिवार वालों का बसा दे फिर से उजड़ा चमन
जाओ खुशियॉ उड़कर जाओ
जाने मे ना देर लगाओ
जाकर ढेर सारी खुशियॉ बिखराओ
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏