शास्त्र के अनुसार कालचक्र का विवरण ….
शास्त्रों के अनुसार छ: आरे होते है । अभी कलयुग मे पाँचवा आरा चल रहा है । 21000 हजार वर्ष का एक आरा होता है । अभी पाँचवा आरे मे 2026(विक्रम संवत)वर्ष पूरें हो चुके है । अब 18974 वर्ष बचें है । इस पंचम आरें को कलयुग कहा है
84 लाख योनियों में जन्म लेने के बाद ऐसा दुर्लभ मानव भव हमें नसीब से मिला है । मोक्ष पाने की इच्छा से देवता भी मनुष्य जन्म के लिये तरसते है क्योकि मोक्ष सिर्फ मनुष्य जन्म मे ही मिल सकता है । अगर इस भव में आकर भी मानव होने का महत्व नही समझा तो मनुष्य और पशुओं मे कोई अन्तर नही रह जायेगा।
ऐसा माना जाता है कि कलयुग मे प्रभु का स्मरण ,नाम व भाव से इन्सान इस भव सागर से तिर जायेगें।
कलयुग या पॉचवे आरे के अन्तिम पड़ाव में हम पंहुच चुकें है । इस आरे के परिवर्तन के साथ -साथ इस धरती पर कई प्रकार के परिवर्तन होगें जो मनुष्य स्वयं ही महसुस करेंगे । हिन्दू धर्म कें शास्त्रों में जो सच्चाई लिखी गई है वो कभी गलत नही होती । सों शास्त्र पर विश्वास रखनें वाले प्रत्येक जीव अपना जीवन स्वयं सार्थक बना सकता है ।
शास्त्रों के अनुसार आईये आपको कालचक्र (आरा) के बारे मे जानकारी देते है …..continues
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना