हमारी जिन्दगी इतनी भी बड़ी
नहीं है कि इसे दूसरों से नफरत
करने में गंवा दिया जाए
चाहत वो नहीं जो जान देती है
चाहत वो नहीं जो मुस्कान देती है
चाहत तो वो है ऐ दोस्त
जो पानी में गिरा आँसू पहचान लेती है
हम ना तो नास्तिक है ना आस्तिक
हम तो केवल वास्तविक है
जो अच्छा लगे वह ग्रहण करो
जो बुरा लगे उसका त्याग करो
फिर चाहे वो धर्म हो ,कर्म हो , मनुष्य हो या विचार हो
क़भी चुपके से मुस्कुरा कर देखना,
दिल पर लगे पहरे हटा कर देख़ना,
ये ज़िन्दग़ी तेरी खिलखिला उठेगी,
ख़ुद पर कुछ लम्हें लुटा कर देखना
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
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