ऑंखें तालाब नही फिर भी भर आती है किस्मत सखी नही फिर भी रूठ जाती है होठ कपड़ा नही फिर भी सिल जाता है दुश्मनी बीज नही फिर भी बोई जाती है बुद्धि लोहा नही फिर भी जंग लग जाता है आत्मसम्मान शरीर नही फिर भी घायल हो जाता है और इंसान मौसम नही फिर…
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ऑंखें तालाब नही फिर भी भर आती है किस्मत सखी नही फिर भी रूठ जाती है होठ कपड़ा नही फिर भी सिल जाता है दुश्मनी बीज नही फिर भी बोई जाती है बुद्धि लोहा नही फिर भी जंग लग जाता है आत्मसम्मान शरीर नही फिर भी घायल हो जाता है और इंसान मौसम नही फिर…