रिश्तो को गलतियॉ इतना कमजोर नही करती ..
जितना ग़लतफ़हमियॉ कर देती है …
इंसान की पहचान शक्ल नही बल्कि अक्ल है
शीशे की तरह आर – पार हूँ
फिर भी बहुतों की समझ से बाहर हूँ
इंसान जो चाहता वो पाता नही
जो पाता है उसे भाता नही
इसलिये उसके जीवन मे सुख साता नही ।
अगर वक्त बदल सकता है तो इंसान क्या चीज है
आपकी आभारी विमला विल्सन मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏