जो व्यस्त थे वो व्यस्त ही निकले
वक्त पर फालतू लोग ही काम आये
दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है
और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है
जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो
दुनिया से क्या गिला-शिकवा करना
खुद मे खुदा को देखना ध्यान है
दूसरो मे खुदा को देखना प्रेम है
खुदा को सभी मे देखना ज्ञान है
एक वृद्धाश्रम में
दो समधिन मिली
क्या कहे क्या सुने
कौन किसको दोष दे ?
मेरा भईया चाहे दूर हो या पास हो
मुश्किल मे एक आवाज दूँ और
वह दौड़ा ना चला आये
ऐसा हो नही सकता
स्री प्यार की मूरत है
पुरूष संघर्ष की सूरत है
कैसे कहूँ महान किसी को
दोनो को एक दूसरे की जरूरत है जो
हर एक का घर हो
जहॉ विश्वास की दीवार हो
प्यार की भरमार हो , आनंद का प्रकाश हो
परिवार का साथ हो , ईश्वर का वास हो
रब से दुआ है मेरी , सबका सपना साकार हो
सम्मान का दरवाज़ा इतना छोटा व संकरा होता है कि उसमे दाख़िल होने के पहले सिर झुकाना पड़ता है
बच्चो को घर का नही जंगल का पौधा बनाये
ताकि उसे कोई पानी भी ना दे तो भी वह खड़ा हो सके
जो मस्ती ऑंखो मे है
किसी मदिरालय मे नही
जो अमीरी दिल की है किसी महालय मे नही
जो शीतलता मॉ की गोद मे है
वह हिमालय मे नही
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏