🔸जिस घर मे पुत्र शोक पर क्रंदन कर रहे मॉ पिता
वहॉ भोजन का निवाला तुम्हे कैसे भाता होगा ?
🔸जिस घर मे सूनी मॉग लिये रोती बिलखती विधवा युवती
वहॉ बडे चाव से पंगत खाते हुये तुम्हे ज़रा भी पीड़ा नही होती ?
🔸जिस घर मे रक्षा सूत्र लिये बहना अपने भाई की याद मे तड़पती
वहॉ रस लेकर खाते हुये तुम्हारा दिल नही भर आता ?
🔸जिस घर मे कोई भी व्यक्ति बन गया हो काल का ग्रास
वहॉ भोजन निवाला लेते समय दिल मे नही होता है त्रास ?
🔸शोकाकुल परिवार के प्रति अपना सदव्यवहार निभाओ
धर्म यही सिखलाता है मित्रो मृत्युभोज को ना खाओ
🔸चला गया जिस परिवार के अंग का कोई हिस्सा
उस परिवार के लिये ये वज्रपात से क्या कम है
🔸परंपरा की चक्की मे पीसकर जैसे तैसे परिजन को तेरहवीं खिलाते
अंधी परंपरा के पीछे मन मे ऑसू लिये जीते जी मर जाते
🔸आओ सब मिलकर इस कुरीती को जड़ से दूर करे
सांत्वना देने जाये ज़रूर पर मृत्युभोज को नही खाये
इस संदेश का आशय किसी को दुख नही पहुचॉना है ,
अगर किसी को दुख पहुँचा हो तो क्षमायाचना 🙏🙏
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏