🔸उंगली पकड़ कर चढ़ने वाले बच्चे
कंधे तक कब आ गए पता ही नहीं चला
🔸साइकिल के पैडल ,स्कूटर की किक मारते
मारते कैसे कारों में सैर करने लगे पता ही नहीं चला
🔸कभी हम थे माँ बाप की जिम्मेदारी,
आज हम बच्चो के ज़िम्मेदार हो गये
पता ही नहीं चला
🔸काले घने बालो ने कब सफेद होना शुरू कर दिया,पता ही नहीं चला
🔸नंगी ऑंखो से बारीक सुई पिरोते कब ऐनक पर आ गये पता ही नही चला
🔸नटखट चुलबुली शरारतो से कब धीर गंभीरता ने चादर ओढ़ ली पता ही नही चला
🔸पैसो की दौड़ लगाते कब रिटायर होने का समय आ गया पता ही नहीं चला
🔸कमाने, बचाने में इतने मशगूल हुए हम
कब बच्चे हमसे हुए दूर,पता ही नहीं चला
🔸संयुक्त परिवार का दम भरने वाले हम
कब हम दो पर सिमट गया
पता ही नहीं चला
🔸आने वाला पल जाने वाला है दोस्तो
हो सके तो इसमे ज़िन्दगी बिता लो क्योकि पल तो ये भी जाने वाला है यहीं जीवन का सत्य है
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद
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