हित चाहने वाला भी पराया है और अहित करने वाला भी अपना भी पराया है । रोग अपनी देह मे पैदा होकर हानि पहुचॉते है और औषधि वन मे भी पैदा होकर भी हमे लाभ ही पहुँचाती है॥
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
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वाह क्या खूब उदाहरण दिया है।रोग अपनी देह मे पैदा होकर हानि पहुचॉते है और औषधि वन मे भी पैदा होकर भी हमे लाभ ही पहुँचाती है॥
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Thanks a lot
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