पहचानिये अपनी प्रकृति को (वात , कफ पित )…
मनुष्य की प्रकृति वात , कफ , पित इन तीनों शक्तियों से मिलकर बनी है । नीचे हर एक प्रकृति की दो सारणियॉ दी गई है । सारणियों से अपनी अपनी प्रकृति पहचाने । हर प्रकृति की पहली सारणी के अनुसार अपनी प्रकृति से संबंधित लक्षणों को पहचानिये व तीनों के कुल गुण गिनिये । वात शक्ति गुणांक अगर अधिक हो तो वातप्रधान प्रकृति है । पित शक्ति अगर अधिक हो तो , पितप्रधान प्रकृति है व कफ शक्ति अधिक हो , तो कफ प्रधान प्रकृति मानना चाहिये ।दूसरी सारणी मे प्रत्येक प्रकृति (वात कफ ,पित)का गुणांक पहली सारिणी की शक्ति के आसपास हो , तो प्रकृति का दोनो शक्तिप्रधान माने । संयोग से इन तीनों शक्तियो का गुणांक समान हो तो सम प्रकृति मानिये । अपनी प्रकृति की पहचान हो जाने पर भिन्न प्रकृति के व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के लिये आहार इत्यादि कैसे रखे , इसके बारे मे आयुर्वेद ने जो मार्गदर्शन किया है , वह दूसरी सारिणी मे संक्षेप मे दिया गया है ।
मनुष्य की वात प्रकृति
शरीर रचना – कृश
बाल – सूखे ,विरल
त्वचा- रूखी सूखी
निद्रा – कम और टूटने वाली
वजन -कम व वृद्धि जल्द ना होना
भूख – कभी तीव्र कभी साधारण
स्मरण शक्ति – ग्रहण शक्ति तीव्र मगर स्मरणशक्ति अल्प समय के लिये
चापल्य – बहुत,सतत उत्साह
सहनशीलता – कम
एकाग्रता – कम
आहार – मधुर , खट्टा, नमकीन, पौष्टिक उष्ण प्रदार्थ
व्यायाम – हल्का ,प्रात: भ्रमण इत्यादि
दिनचर्या – तेज़ मसाज , गर्म कपडे , भरपूर आराम
ऋतु – …..
निषेध
आहार – कषाय , कड़वे प्रदार्थ ,कम खाना
दिनचर्या – लगातार ठंडे वातावरण के संपर्क मे न रहे व जागरण न करे
ऋतु – जाड़े मे अधिक ध्यान दे
मनुष्य की पित प्रकृति
शरीर रचना -मध्यम ,प्रमाणबद्ध
बाल – विरल व जल्दी सफेद होना
त्वचा – मुलायम
निद्रा – ठीक परंतु गहरी नही
वज़न – प्रमाणबद्ध
भूख – अतिशय तीव्र
स्मरण शक्ति – उत्तम
चापल्य – कार्यक्षम
सहनशीलता – मध्यम
एकाग्रता – मध्यम
आहार – मधुर ,कषाय,कटु शीत प्रदार्थ
ऋतु – जाड़ा
व्यायाम – खेल , तैरना इत्यादि
दिनचर्या – हल्के सूती कपडे , नियमित समय पर भोजन
निषेध
आहार- उष्ण ,तीखे ,नमकीन प्रदार्थ, कम खाना
ऋतु – धूपकाल मे अधिक ध्यान दे
दिनचर्या – धूप मे न फिरे ,सतत उष्ण वस्तुओं से संपर्क न करे
मनुष्य की कफ प्रवृति
शरीर रचना – सुदृढ़
बाल – घने मुलायम
त्वचा – चिपचिपाहट, मुलायम
निद्रा – शांत व स्वस्थ
वज़न – वज़नदार व जल्दी वृद्धि न होने की प्रवृति
भूख – भूखे रहने पर विशेष तकलीफ़ नही होना
स्मरण शक्ति – स्मरण शक्ति अच्छी
चापल्य – शांत व संयमशील
सहनशीलता – बहुत सहनशील
एकाग्रता – उत्तम
आहार – कषाय ,कड़वे व तीखे प्रदार्थ , हल्का आहार
ऋतु – धूपकाल
व्यायाम – भरपूर व्यायाम
दिनचर्या – कम खाना , मर्यादित निद्रा
निषेध
आहार – पौष्टिक , मधुर, खट्टे प्रदार्थ कम खाये
ऋतु – बारिश तथा जाड़े मे कम अधिक ध्यान दे
दिनचर्या – पानी से संपर्क तथा दिन मे नींद न ले
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏