दोस्तों ध्यान से इस मैसेज को पढ़ना व समझना ..
इंसान का औसतन जीवन क़रीबन 80 साल का मानते है उसमें से 30 साल रात्रि मे चले जाते है
और बचपन और बुढ़ापे मे 20 साल बीत जाते है । फिर बचते है जिन्दगी के 30 साल ।
उसमे से 20 साल तो घर परिवार , रिश्ते नाते , नौकरी धंधा , स्वास्थ्य ,योग ,वियोग, पढ़ाई,परीक्षा ….अनेक अनगिनत चिन्ताएँ व्यक्ति के सिर पर पूरी तरह से सवार रहती है
उसके बाद जीवन कितना बचता है 8/10 वर्ष।
उसमें भी हम शान्ति से नहीं जी सकते ?
क्यो हम रिश्ते नाते मे द्वेष भावना रखे ,दाँवपेच खेले ,कडुवाहट रखे , अहंकार रखे
क्यो हम आपस मे ज़मीन जायदाद ,धन सम्पत्ति के लिए अपनो से झगड़ा करें
फिर हमारा इतना दुर्लभ मनुष्य जीवन मिलने का क्या मकसद हुआ , क्या लाभ मिला ?
हमेशा इस बात को ध्यान रखे कि ….
डिक्शनरी में असंख्य शब्द होते हुए भी मौन होना सब से अच्छा है
दुनिया में अनेकों रंग होते हुए भी सफेद रंग सब से अच्छा है।
खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी स्वास्थ्य के लिये कभी कभी उपवास शरीर के लिए अच्छा है
घूमने के लिए अनेक पर्यटक स्थल होते हुए भी एकांत मे ध्यान लगाना सबसे अच्छा है।
ऑंखो से बाहरी खूबसूरत दुनिया दिखने के बावजूद बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।
दूसरो की सलाह से ज्यादा अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।
जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी अपने सिद्धांतों पर जीना सबसे अच्छा है।
जब भी अपनो के साथ बैठो तो परमात्मा का धन्यवाद कहो क्योंकि काफी लोग आज इन लम्हों को तरसते हैं ।
जब भी अपने नौकरी धंधा पर जाओ तो परमात्मा का धन्यवाद करो क्योंकि बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।
अच्छा स्वास्थ्य होने के लिये परमात्मा को धन्यवाद कहो क्योंकि किसी भी कीमत पर सेहत नही खरीद सकते है
हम ज़िन्दा है उसके लिये परमात्मा को धन्यवाद कहो क्योंकि इसकी कीमत मरणासन्न लोगो को मालूम है ।
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
100% सत्य
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Thanks
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Bilkul satya kaha.👌👌
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Thanks a lot
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