विदेशों मे यूज एंड थ्रो का ज़माना है । जो अब भारत पर भी हावी हो रहा है । भोजन करना है तो डिजपोजल प्लेट,चम्मच,बॉल्स,गिलास व हाथ पोंछना है तो टिशू पेपर का उपयोग कर लो ।
हालाँकि भारत मे आज भी एक वस्तु का कितना उपयोग किया जाता है कि यदि बड़े भाई की जींस छोटी हो जाती है तो उसको छोटा भाई पहन लेता है । बाद मे छोटी होने पर काटकर घुटने तक की पैंट बना दी जाती है । उसका उपयोग होने पर उसको काटकर थैली बना दी जाती है । थैली फटने पर उसका किचन मे मसौता बना दिया जाता है । बात यहॉ ही ख़त्म नही होती उस मसौते को बाद मे पौछा व पौछा को जलाकर राख व राख से कुछ बर्तन आदि साफ़ कर लिया जाता है ।
वस्तुओं का इतना उपयोग किया जाता है परंतु अफ़सोस कि रिश्तो मे आज यूज एंड थ्रो का प्रचलन दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है । मॉ बाप को बच्चे यदि नही चाहिये तो अबॉर्शन कराने मे ज़रा भी नही हिचकिचाते , भ्रूण हत्या कर देते है ।बाप अपनी बेटी की शादी मे लाखों , करोड़ों रूपयों का खर्चा करता है लेकिन तलाक़ हो जाता है । बेटी को दहेज ना मिलने पर मायके भेज दिया जाता है । यहॉ तक कि बच्चे ना होने पर या बेटे की चाहत मे पत्नी को मानसिक प्रताड़ना के साथ दूसरी शादी के बारे मे सोचा जाता है । मॉ बाप बूढ़े होने पर काम के लायक ना रहने से बच्चे उनको खाने पीने या सेवा करने मे , भावनात्मक संबंधों से दूर भाग जाते या वृद्धाश्रम मे भेज दिया जाता है ।भाई बहन का भी प्रेम आवश्यकता के आधार पर टिका रह जाता है ।
इसी तरह मित्रों , रिश्तेदार , सगे संबंधियों आदि हर जगह ज़रूरतों के आधार पररिश्ता निभाया जाता है ।
ये सब रिश्ते यूज एंड थ्रो वाले हो गये या नही ?
वस्तुओं के मामले मे यूज एंड थ्रो वाला हिसाब रखोगे तो चलेगा लेकिन रिश्तो मे तो ऐसा ना करो वरना आने वाले समय मे क्या ,इस समय भी इसका दुष्परिणाम देखने को मिल रहा है ।
वस्तुओं को भलई यूज एंड थ्रो बनाओ पर रिश्तो को इससे बचाओ
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
बहुत सुंदर लिखा है।सत्य है।
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Thanks
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gambhir vishay ………..ham viksit ho rahe hain……rishte dur ho rahe hain…..shayad ismen bhi ek race hai…….jab sabkuchh badal raha hai phir rishte pahle jaisi kyun……?
shayad ham bhul gaye jitna prem ka maja ham lete hain…..shayad wah prem kahin nahi hai….atah sabkuchh badaliye……apne rishton ki dor tutne naa dijiye.
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सही लिखा ….बहुत बहुत धन्यवाद
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