नारी का शोषण ……….
यह लेख किसी की भावनाओं को ठेस पहुचॉने के मकसद से नही लिखा गया है बल्कि मजबूर नारी का चित्रण किया गया है ।
यह लेख सत्य घटना पर आधारित है जिसको कहानी का रूप देकर समाज मे पनप रही लोगो की घटिया मानसिकता को बताया गया है ।
एक बहुत बडे शहर मे दो दोस्त रहते थे जो अतुलनीय धन सम्पति के मालिक थे । एक का नाम बुद्धिराम था व दूसरे का नाम रुपसिंग था । इन दोनो के एक एक पुत्र जिनका नाम विवाक व तारक था । दोनो शैशव काल से ही ख़ास दोस्त थे । जिनकी लाड़ प्यार व पैसो की आधिक्यता ने आदतें बिगाड़ कर रख दी ।
दोनो की एक एक बेटी भी थी जो कि आपस मे अभिन्न मित्र थी लेकिन दस वर्ष पहले एक माताजी के मेले मे खो गई थी । दोनो को ढूँढने मे रूपया पैसा पानी की तरह बहाया गया लेकिन कही पता नही लगा ।
बुद्धिराम व रूपसिंग का शरीर अनेक रोगों से ग्रस्त हो गया जिसकी वजह से खाने की काफी चीजो पर पाबंदी लगा दी गई । इतना पैसा भी उनके स्वास्थ्य को ठीक नही कर पाया ।
एक दिन विवाक व तारक दोनो मौज मस्ती के हिसाब से घूमते घूमते किसी दूर एक गॉव मे पहुँच गये । वहॉ करीबन सोलह साल का एक लडका सुमिन मिला । बातो ही बातो मे दोनो को मालूम चला कि सुमिन अपने परिवार का पेट पालने के लिये देह के व्यापार के साथ मे लड़कियों का क्रय विक्रय भी करता है । सारी लडकियॉ बाहर से बहला फुसला कर या अपहरण करके लायी जाती । कुछ लड़कियों समाज द्वारा ठुकराई गई होती । कुछ लडकियॉ अपने गरीब लाचार बीमार मॉ बाप की ख़ातिर देह बेचती तो कुछ लडकियॉ बहुत गरीब मॉ बाप के द्वारा मजबूरी मे बेची गई होती । कुछ अपने बेटियों को गरीबी की वजह से चंद पैसो की ख़ातिर अधेड़ उम्र के आदमी से शादी करा देते ।वह आदमी फिर उन बच्चियों से या तो ग़लत काम करवाता या फिर उनको किसी दलाल को बेच देता । ऐसे लोगो का स्थानीय पुलिस ,नेताओं तथा अधिकारियों के साथ भी अच्छी सॉठ गॉठ भी रहती । प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से इन लोगो से संरक्षण भी प्राप्त होता ।
विवाक व तारक दोनो ने अपने आने का कारण बताया । फिर क्या था सुमिन ने दोनो के हाथ मे एक एक एलबम थमा दी जिसमें काफी लड़कियों के फॉटो थे । दोनो ने एलबम देखकर दो फॉटो के प्रति अपनी रूचि दिखाई । सुमिन दोनो को पास की बस्ती मे ले गया जहॉ पर अनेक लडकियॉ पुरूषों को आकर्षित करने के हिसाब से रंगबिरंगे वस्त्र धारण किये बैठी थी ।गाने की आवाज़ें गूँज रही थी।बातो ही बातो मे सुमिन ने दलाली के पैसे का भी ज़िक्र किया तथा बताया कि दलाली मे उसको चंद रूपये ही मिलते है । बाद मे वह इन दोनो को एक पक्के मकान मे ले गया जिसमे कई रूम थे । दोनो एक एक रूम मे चले गये ।थोड़ी देर बाद छमछम करती ,हाथ मे जाम लिये मैना ने कमरे मे प्रवेश किया । परफ्यूम व इत्र से शरीर महक रहा था । विवाक का रोम रोम रोमांचित हो उठा ।
लेकिन ये क्या ? आते ही मैना के ऑखो मे ऑसू भर आये व दया की भीख मॉगते हुये बोली कि बाबूजी मुझे इस नर्क से बचा लो आपका अहसान जिंदगी भर नही भूलूँगी। विवाक बोला कि मैं एक वैश्या के कोठे पर आया हूँ । तुम्हे रात भर के लिये खरीदा है । वह रोते हुये बोली कि बाबूजी हम तो ऐसे ही इस धंधे मे निष्प्राण हो चुकी है सिर्फ चलती फिरती लाश है लेकिन आपको किसी कुलीन वर्ग का मानकर अपनी बात कही है । साहब यहॉ हमारी हालत तो एक कुतियॉ से भी बदतर है,अनेक प्रताड़नाएँ व विकलताएँ है …..बताते बताते नारी ह्रदय रो पड़ा । वह रोते रोते बोली आज रक्षाबंधन है ।आपको देखकर मेरा वात्सल्य जाग उठा और मेरा छोटा भाई याद आ गया
हम भी आपके शहर के वासी है । आज से दस साल पहले मेरा व मेरी सहेली का एक मेले मे अपहरण हो गया था ।दोनो को काफी शारीरिक प्रताड़नाये दी गई । कई बार भागने की भी कोशिश की लेकिन हर बार नाकामयाब रही । कॉपते स्वर मे विवेक बोला कही तुम्हारा नाम मैना तो नही । वह बोली हॉ लेकिन आपको कैसे मालूम और गौर से देखने पर भाई को पहचान गई । वह भाई से लिपट कर रो पड़ी और रोते रोते बेहोश हो गई ।
विवाक को तो जैसे सॉप सूँघ गया । उसके मुँह से चीख निकली और भागकर तारक के कमरे की और दौड़ा व जोर जोर से कमरा थपथपाने लगा । तारक ने गुस्से मे दरवाज़ा खोलते हुये बोला कि अरे यार ये कोई समय है बुलाने का ।विवाक कॉपते स्वर मे बोला कि आज भाई बहन के रिश्ते पर कलंक लगते लगते बच गया । मैना और वीणा हमारी ही बहने है । आज बड़ा अनर्थ होते होते रूक गया । तारक बोला बताओ वीणा ये बात सच है वह बोली हॉ भैया ये सच है । सुनते ही तारक बोला अभी के अभी घर चलो । वीणा बोली लेकिन भैया समाज हम दोनो को स्वीकार करेगा ? हम तो बेआबरू हो चुकी है ।
दोनो एक साथ बोले ऐसे समाज को हम आग लगा देंगे ।आज रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार पर प्रारब्ध ने हम भाई बहनों को मिलवा दिया । दलाल को पैसे देकर चारों अपने शहर की और चल पड़े ।घर पर बच्चियों के मिलने पर ख़ुशियाँ की लहर आ गई । बाद मे दोनो के कहे अनुसार पुलिस ने उस जगह छापा मारकर सभी लोगो को गिरफ़्तार कर लिया । विवाक की शादी वीणा से व तारक की शादी मैना से धूमधाम से कर दी गई ।उनका जीवन सुखमय हो गया । दोनो ने सुरा व सुंदरी से जिंदगी भर विदा ले ली ।इस कथा के माध्यम से यह बताने की कोशिश की जा रही है कि आज के वातावरण मे यह सब तेजी से पनप रहा है । धन की अधिकता से आज का वर्ग भोग को ही अपना लक्ष्य मान बैठे है ।नारी उनके मन बहलाने का साधन मात्र बनती जा रही है । कई बार भोग की तीव्रता भी रिश्तो की मर्यादा लॉघ देती है । कई बार मॉ बाप पैसो के अभाव मे भी अपनी बच्चियों को बेच देते है जहॉ खरीददार बहुत ही क्रूरता से उसका शारीरिक व मानसिक शोषण करता है । कई बार इस मकसद से बच्चियों का अपहरण भी कर लिया जाता है । लावारिश बच्चे ,कई बार अनाथाश्रम के बच्चे भी इस चपेट मे आ जाते है । साथ मे यह भी जानने योग्य है कि पैसे वाले लोग गरीब लोगो के दुख दर्द व मजबूरियाँ से किये गये कार्यों से कैसे अनभिज्ञ होते है ।कई बार इस प्रकार के घिनौने काम का मालूम चलने पर भी गवाहों के अभाव मे तथा कानून की बारीकियों के आगे ये लोग छूट जाते है ।चाहे जो कुछ भी हो कोई भी नारी शरीर बेचने का कार्य कोई न कोई मजबूरीवश करती है । हो सके तो उसे इस गंदगी ले बाहर निकलने मे उसकी मदद करे ।ईश्वर जाने इस प्रकार के माहौल का कभी समाधान हो पायेगा या नही या यह क्रम यूँ ही चलता रहेगा ?नारी तो इस देश की गरिमा है , इसका सम्मान करना चाहिये picture taken from google लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना 🙏🙏जय सच्चिदानंद 🙏🙏
Bahut khubsurti se likha hai….lajwaab.👌👌👌
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शुक्रिया आपका
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Aapki rachnaye prerit krti hai.Aap bohot acha likhti hai.
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Thanks
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भूल की कही गुंजाइश ही नही है जी
समाधान कौन नही चाहेगा बहुत रहस्यमय है
किस नजरिए से इसे देखा जाये धन के नजरिए से वासना के नजरिए से या समाजिक नजरिए से
रिश्ते भी धोखे की तस्वीर पेश करते है
कभी पुरूष तो कभी नारी अपने स्वार्थ या मजबूरी मे ऐसे कदम उठा जाते है कि आने वाली नयी जिंदगी नर्क के समान हो जाती है
हर किसी की हर ब्याख्या अपनी दिल और दिमाग का देने है
काश दुनिया मे कोई किसी भी प्रकार से पीड़ित ना होता
आपकी रचना काफी प्रेरक है
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धन्यवाद ।आपका कहना सही है
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बहुत ही मार्मिक घटना आपने सुनाया….बहुत अच्छा 👌👌👌👌
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धन्यवाद । आपने सराहा
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