इंसान कुल से नही चरित्र से महान होता है ।
एक बार रोम के महान दार्शनिक सिसेरी को एक उच्च कुल का घमंडी व्यक्ति मिला व बोला कि तुम तो नीच कुल के हो । हम दोनो की क्या बराबरी ?
दार्शनिक ने बड़ी विनम्रतापूर्वक जवाब दिया -“ मेरे कुल की कुलीनता का आरम्भ मुझसे होता है । तुम्हारे कुल की कुलीनता का अंत तुम्हारे से होता है ।
कुल के उच्च होने का क्या मूल्य है ? “मूल्य है मनुष्य के अपने चरित्र बल का “ । कुल से भी चरित्र श्रेष्ठता महान है । अत: विवेकशील इंसान के लिये कुल का गर्व भी उसके पतन का कारण है ।
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
बिल्कुल सत्य कहा।इंसान कुल से नही चरित्र से महान होता है ।
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बहुत बहुत शुक्रिया सराहने के लिये
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