मन को खाली करिये , प्रसन्नता से भरिये ……..
दुनिया मे कोई भी चीज खाली अच्छी नही लगती ,हमेशा भरी अच्छी लगती ।खाली गिलास को अगर दूध या पानी या ज्यूस से भर दिया जाये तो ज्यादा अच्छा लगता है ,खाली टोकरी को फल या फूलो से भर दी जाये तो सुशोभित लगती है ।खाली प्लेट मे खाने की वस्तु रखे तो प्लेट अच्छी लगती है । यहॉ तक कि खाली बैठना भी अच्छा नही लगता , बोरियत लगता है । किन्तु मन ऐसी चीज है जिसे खाली यानि विचार शून्य रखे तो उसमें सहज रूप से प्रसन्नता का घेरा बनने लगता है ।
मन को अच्छे विचारों से भरते रहने पर प्रसन्नता उत्पन्न होती है लेकिन यदि इसके साथ और तरह के विचार भरे तो वह अंदर जाकर भारी तूफान मचाते है ।
अगर हमें कोई प्रसन्नता मिलती भी है वह भाप की तरह होती है ,जो उड़ने के लिये ही उत्पन्न होती है लेकिन मन को खाली या विचार रहित रखने पर निरंतर प्रसन्नता का अनुभव होगा ।
विचार रहित मन ध्यान करने से होता है । जिसको लंबे समय तक करने से मन सहज रूप से हल्का , कोमल व निर्मल बनता जाता है व साथ मे धीरे धीरे देहभान , देहभार , देहभाव छूटता जाता है । यह इतना उत्तम है जिसमे ना कुछ करना होता ,ना ही विचारना । अगर विचार नही आयेंगे तो बोलेंगे नही , बोलेंगे नही तो करेंगे नही । कुल मिलाकर विचारों मे विराम आ जाता है । मन विचारने के संक्लेश से जितना मुक्त रहता है , उतना ही सबल बनता जाता है । सबल मन स्वयं मे शक्ति है । मन मे विचारों का प्रवेश ना होने का संकल्पकरने पर सफलता जरूर मिलती है । जिसको सफलता मिली ,उसने संसार को जीत लिया ।
इसलिये निरंतर प्रसन्नता के लिये ध्यान करे व मन को मजबूत इरादों के साथ अधिक से अधिक खाली रखे ।
आपकी आभारी विमला विल्सन
लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना 🙏🙏
जय सच्चिदानंद 🙏🙏