आधुनिकता का रंग ….आजकल के आधुनिक जमाने मे आधुनिकता का रंग युवा पीढ़ी पर इस कदर हावी हो गया कि वह भारतीय संस्कृति को धीरे धीरे भूलता जा रहा है । और लाज शर्म व सम्मान की बात तो दूर अपने बड़े बुज़ुर्गों को समय पड़ने पर पागल या दकियानूसी कहने से नही चूकता है ।
दृष्टांत …..
ये बात मुंबई शहर की है । वहॉ पागल लोगों की गिनती हो रही थी ।एक आदमी वहॉ आया और अधिकारी को कहने लगा कि आप मेरा भी नाम पागलो की गिनती मे डाल दे , क्योंकि लोग मुझे पागल कहते है । अधिकारी आश्चर्यचकित होकर कारण पूछा तो वह व्यक्ति बोला कि एक दिन मै बडी होटल मे किसी से मिलने गया तो वहॉ पर मेरी मित्र की बेटी अन्य लड़कियों के साथ बार से बाहर निकलती हुई दिखी ,जो अस्त व्यस्त हालत मे अश्लील फिल्मी गाने गाते हुये आगे बढ़ रही थी। मैंने उसे देख कर आवाज देकर अपने पास बुलाया और कहा कि बेटी इस तरह की हालत मे ऐसे गाने गाते हुये चलना अपने कुल के लिये शोभाजनक नही है । वह थोड़ी सी शर्मिंदा होते हुये आगे बढ़ गई । फिर उसके मित्रों ने उससे मेरे बारे मे पूछा कि वह बूढ़ा कौन था ? तो वह बोली कि कोई पागल था । यो ही बकवास कर रहा था – दकियानूसी कही का
रंगी को नारंगी कहे , नगद माल को खोया
चलती को गाड़ी कहे , देख कबीरा रोया ।
आपकी आभारी विमला विल्सन
लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना 🙏🙏
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
बहुत सही लिखा है आपने
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बहुत बहुत धन्यवाद
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Thanks for add
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🙏🙏
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Nice
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Thanks
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