ैकुछ खट्टी कुछ मीठी यादों के साथ ,
जिन्दगी की किताब का एक और पन्ना कम हो रहा है ,
सुलभ डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है ,
एक और दिसम्बर गुजर रहा है !
कुछ चेहरे घटे,कुछ चेहरे बढ़े ,गुजरे व
जुड़ी ,कुछ हटी ,
उम्र का पंछी नित दूर और दूर उड़ रहा है ,
फिर एक और दिसम्बर गुजर रहा है !
जाड़ों की सुहानी धूप
rong> गुजरे लम्हो पर झिना सा पर्दा गिर रहा है ,फिर एक और दिसम्बर गुजर रहा है !जीने का जायका लिया भी नही ,
और फिसल रही है जिन्दगी ,
आसमान समेटता वक्त बादल बन कर उड़ रहा है ,
फिर एक और दिसम्बर गुजर रहा है !
कितना जीया
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कैसे जीया उस पर विचार ना किया ,फिर एक और दिसम्बर गुजर रहा है !
जिन्दगी के जायके का मजा कुछ ऐसे ले ,
आपस मे संबंधों की कटुता को मधुरता की और मोड़े ,
हँसे और औरों को हँसाये
मिठाई की तरह खुशियॉ को बॉटेअच्छे कर्म और धर्म से नाता जोड़े ।
आओ नये साल का स्वागत करे ,
दिल से कोई भी एक नया प्रण ले ।
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बिल्कुल सही।।इस साल की गलती अगले साल में ना हो।।
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Thanks
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