भीख……..< strong>< strong>भीख मॉगने वाला ही भिखारी नही है बल्कि एक तरह से हम सब भी एक भिखारी की तरह ही है । किसी को मान की भीख , किसी को लक्ष्मी की भीख , तो किसी को कीर्ति की भीख , विषयों की भीख , शिष्यो की भीख यानि की किसी न किसी प्रकार की भीख रहती है ।
जहॉ किसी भी प्रकार की भीख होती है वहॉ भगवान व भक्त अलग है ।लेकिन जहॉ किसी भी प्रकार की भीख नही है वहॉ भगवान व भक्त अभेद हो जाते है ।
भीख से एक बात याद आती है । एक बार सर्दी के दिनों में एक भिखारी किसी सेठ के पास भीख माँगने जाता है व बोलता है कि सेठजी खाने को कुछ दीजिए ना , सुबह से कुछ भी नहीं खाया है । सेठजी तंग दिल का था , बोला मेरे यहॉ भी कुछ खाने को नहीं है ।तो भिखारी बोला खाने को नहीं है तो ओढ़ने को चद्दर ही दे दीजिये । सेठ बोलता है चल भाग यहॉ से , मेरे खुद के पास नहीं है तो तुझे कहॉ से दूँ । तब तुरंत भिखारी बोलता है आपके पास ना खाने को है , ना ओढ़ने को है तो आप यहॉ पर क्यों बैठे हो ,आइये हम एक साथ मिलकर भीख माँगे । यह सुनकर सेठ शर्मिंदा हो गया ।
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
Bahut badhiya laghu katha…sach me sabhi bhikhaari hain.
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Thanks
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Bilkul sahi
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Thanks a lot
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