यह दुनिया मन से बड़ी लुटेरी
ना तेरी है ना मेरी
यह दुनिया मन से बड़ी लुटेरी ।।
मुँह मे राम राम
दिल मे हेरा फेरी है
यह दु
ng> मन से बड़ी लुटेरी
मानव भी माछर से क्या कम
माछर जब भी काटे तो
घूँ घूँ करके करता पुकार
लेकिन चुपचाप काटे दुनिया
जब हो अंधेरी रात
यह दुनिया मन से बड़ी लुटेरी ।
सुबह सुबह लालाजी
धर्मका रौब जमाने मुट्ठी
भर दाना पंछियों को डाले
सवा सेर का सेर तोलने
तनिक भी देर ना लगावे
यह दुनिया मन से बड़ी लुटेरी ।
सुनते है कल चोरी हो गया
मंदिर मे भगवान के जेवरात
इसलिये तो दुनिया मे
होते जा रहेमयखाने आबाद
ऐसी छाया मे
भगवान की वाह वाह कैसी बनी रहे
यह दुनिया मन से बड़ी लुटेरी ।
आपकी आभारी विमला विल्सन
जय सच्चिदानंद 🙏🙏