एक गुरू अपने शिष्यो को किताबी ज्ञान की बजाय अनुभवी ज्ञान देने मे ज्यादा विश्वास करते थे । एक दिन वह शिष्यों सहित एक खेत मे पहुँचे । उस खेत का मालिक अपने खेत मे पानी निकलवाने के लिये सौ सौ फ़ुट के पॉच गड्ढो की खुदवाई करवा चुका था । किंतु पानी ना निकलने की वजह उसने छट्ठा गड्ढा खुदवाना शुरू कर दिया ।
यह होते देखकर शिष्यों ने तुरंत गुरूजी को पूछा कि गुरूदेव यह क्या हो रहा है ।जगह जगह क्यों गड्ढे को खोदा जा रहा है गुरूजी ने कहा कि इस खेत का मालिक खेत मे पानी की जरूरत के लिये एक जगह थोड़ी खुदाई करता है वहॉ ना निकलने पर दूसरी जगह । इसलिये जगह जगह खुदाई कर रहा है । वह कितना इस बात से अनभिज्ञ है ,नासमझ है कि अगर वह अपना धन व श्रम पॉचो की बजाय एक ही मे गहरा कुऑ खोदने मे लगा देता तो खेत भी नही बिगड़ता और पानी भी मिल जाता । उसका लक्ष्य भी पूरा हो जाता और सफलता भी हासिल हो जाती ।
इस दृष्टान्त की तरह हमे भी ये बात सीख लेनी चाहिये कि जो अपने लक्ष्य को बार बार बदलते रहते ,उनकी वही गति होती है जो खेत के मालिक की हुई । लक्ष्य व सफलता पाने के लिये सबसे पहले मनुष्य को कार्य सम्पन्न करते समय अपने कार्य के प्रति लगन ,विश्वास व श्रद्धा से भरपूर होना चाहिये । तभी उसकी उन्नति होगी ।
चाहे सांसारिक, सामाजिक या आध्यात्मिक क्षैत्र जो कोई भी हो ,सभी मे वही उन्नति कर सकता है जिसके दिल मे अपने लक्ष्य को पूरा करने के प्रति गहरा विश्वास हो ,गहरी श्रद्धा हो उसी की कीमत है वरना परिणाम खेत के मालिक की तरह होगा और साथ मे होगा असफलता का दुख ।
आपकी आभारी विमला मेहता
लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना 🙏🙏
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
Bilkul sahi kahaa….lakshya rakhkr koyee bhi kaam kiya jaaye safalta kadmo tale hogi…
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Thanks
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बहोत ही सही विचार हैं आपके, इन्सान लक्ष्य चून तो लेता हैं पर उस पर कायम नही रह पाता ।।।
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धन्यवाद आपको अच्छा लगा
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बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति हुई है और अच्छा सीख भी दिया है आपने।
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सराहने के लिये धन्यवाद
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बहुत अच्छी कहानियाँ और सीख .
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शुक्रिया रेखा जी😊
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क्हानी *
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Thanks Rekhaji
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