कल से शुरू हो रहा ये जैनों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व पर्युषण पर्व है ।यह आत्मलक्षी का पर्व है । मै कौन हूँ, मेरा स्वरूप क्या है , मै क्या हो गया हूँ और मुझे क्या होना चाहिये अर्थात यह अपने अंदर प्रसुप्त परम आत्मा तत्व को जगाता है । आत्मा से परमात्मा होने की विशेष और दिव्य साधना की सुंदर पद्धति है । पर्युषण पर्व की मनाने व्यवस्था आठ दिनो की की गई है ।
इस पर्व का एकमात्र लक्ष्य है हमारे कर्मो की बेडियॉ काटना । अनंत काल से यह जीव आठ कर्मो की बेडियॉ से जकड़ गया है । साधना करने के ये आठ दिन आठ बंधनों को काटने मे सहायक होते है । यह पर्व आत्म जागृति एवं मैत्रीभाव का पर्व है ।क्षमा, शान्ति ,तप , त्याग, वैराग्य की सच्ची लौ पैदा कर जीवन को असीम आनंद की अनुभूति करवाता है ।
यह महापर्व संदेश देता है कि जिंदगी मे कही भी यदि प्रमादवश भूल हो गई हो ,किसी से भी वैर विरोध चल रहा हो तो इन दिनो मे आलोचना ,प्रायश्चित द्वारा उसकी आत्मशुद्धि कर ले । क्षमा से क्रोध को , नम्रता से अहंकार को ,लोभ को संतोष से , माया को सरलता से जीत लिया तो फिर समझो आनंद ही आनंद है । यह पर्व जीवन मे अद्भुत शक्ति ,आत्मबल प्रदान करता है ।
अफ़सोस आज के काल मे धीरे धीरे इस पर्व का मतलब ही बदल रहा है । केवल भूखा रहना तप नही है बल्कि विषय वासनाओं पर नियंत्रण करना , भावना का पवित्र रखना , उसमे किसी को कष्ट करने का भाव ना होना ,प्राणिमात्र की भलाई की कामना करना ,यही सच्ची तपस्या है व सफल आत्म विजय का तप है ।
पर्युषण महापर्व की महत्वता को पहचानो क्षमा लो , क्षमा दो , मैत्रीभावना का सर्वत्र संदेश पहुँचाओ ।
पधारो पर्वों के अधिराज पर्युषण
खुशी से करते है अभिनंदन
देखो इसमें है कितना बड़प्पन
हर साल आकर हम सबका
करवाता है दोषों का मंथन
दया तपस्या की झडी लगाये
आत्मिक ज्ञान की लौ जगाये
लोभ ,द्वेष क्लेश मिटाये
स्नेह,प्रेम का दीप जलाये
मिथ्या मोह के भ्रम को भगाये
सोये अंतर को आप जगाए
मुँह से कडवा वचन ना बोले
सदा शांति का रस घोले
ईर्ष्या से क्यों दिल को जलाये
मन से मैत्री का भाव बनाये
औरो की प्रशंसा सुनकर फूले
अपनी बड़ाई करना भूले
धर्मरूपी धन का रोज दिवाला
पर निंदा करके ना निकाले
पर गुण सुनने का रस बढ़ावे
अपने मे भी वो गुण को लाये
समय रहते शुरू कर लो
सच्चे भावो से दोषों की शुद्धि
सार्थक बनाना हमको ये जीवन
क्षमायाचना कर ले शुद्ध मन
पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर
हम सबको करते है अभिनंदन
आज तक जाने अंजाने मे
हो गई हो अगर हमसे भूल
क्षमाप्रार्थी की अपेक्षा रखते है
तहे दिल से सब दोषों को अर्पण करते है
सबको माफी की भिक्षा देते है
और माफी की भिक्षा लेते है
मिच्छामी दुक्कडम 🙏🙏 आपकी आभारी विमला मेहता