कोई लौटा दे बचपन के वो दिन ……
एक दिन दूसरे शहर मे बाजार घूमते घूमते,बरसो बाद अपने पुराने दोस्तों से अचानक मुलाक़ात हो गई और हम सब मिलकर एक रेस्टोरेंट गये । ।बाते करते करते बीते बचपन को याद करने लगे । हम सब बचपन के अहसास भरे क्षण मे इतने खो गये कि समय का पता ही नही चला ,यदि रेस्टोरेंट वाला आकर नही बोलता कि,मैडम अब रेस्टोरेंट बंद होने का टाईम हो गया हैं ।
उन पलो को मैं आप सबसे शेयर करना चाहूँगी ।
बरसो बाद मिलकर दोस्तो से,
याद आई मुझे बचपन की बात
बचपन के चहकते दिन,
कितने सुहाने लगते थे ,
न दिन की होती फ़िक्र ,
ना रात की होती चिंता,
खुशियों ही ख़ुशियाँ के फूल
बचपन की बगिया में खिला करते थे !!
माँ की ममता का आँचल
पापा का सबसे बचाना,
पास बैठकर घंटो बतियाना
ये सब हुआ करता था !!
भाई,बहन का खेल-खेल में
लड़ना और झगड़ना
फिर रूठना और मनाना
यही हर रोज होता था !!
दादी से परियों की कहानी,
दादाजी का ऐनक छुपाना
फिर जाकर कही छिप जाना
बड़ा ही अच्छा लगता था !!
रो रोकर जिद पर आना
मॉ का लोरिया सुनाना
सुनते सुनते सो जाना
कितना सुखद लगता था
दोस्तों से लडकर कट्टी होना
एक क्षण बाद बदी होना
गुड्डे गुडियों की शादी रचाना
झूठमूठ की रसोई बनाना, कितना स्वाद लगता था
राजा मंत्री, चोर सिपाही,
सांप सीढी,लूडो
इन सब खेलो के साथ
मिट्टी के खिलौनों की भी दुनिया होती थी
गुलेल,खोखो,पतंग,संतोलिया,
केरम,कंचे, गिल्ली डंडा ,लट्टू
दिन ढलते ही शाम को
दोस्तो के साथ शुरू हो जाते थे
कबड्डी ,समुंद्र,लँगड़ी टॉग,
छिपा छिपाई ,कंचो का खेल
माचिस की खाली डिब्बियाँ
उसमे भरे कॉच के ढेर,
कितना प्यारा लगता था
रंग बिरंगी गुडिया के लिए
मोटे मोटे आंसू का बहाना
मिलते ही खिलखिलाना
कितना ड्रामा होता था
घर घर का खेल था कितना निराला
सबसे न्यारा सबसे प्यारा
उस घर की राजकुमारी बनकर
हुक्म चलाने का मौका ना खोना
टॉफी ,कुल्फी ,बर्फ़ गोले के लिये ,
जिद्द पकडकर रो जाना
फिर मॉ की डांट खाना
दादी के आँचल में छिप जाना
बारिश का पानी भर जाना
उसमें कागज की कश्ती चलाना
बार बार डुबकी लगाना
अपनी शेखी को बघारना
सब दोस्त मिलकर,
बना लेते थे प्यारी सी रेल
ना जाति ,ना कोई धर्म,
सिर्फ प्यार ही प्यार का मेल
बचपन के दिन सतरंगी थे,
सिर्फ दोस्तो और मस्ती के थे
कभी मुस्कान,
तो कभी रूला जाते थे
कैसे बचपन के वो पल बीत जाते हैं, बस एक याद बन जाती हैं
आज यादों के उन क्षणों को याद करती हुँ,तो खुद पर हँसी आ जाती है
जब भी याद आता है बचपन ,एक खिली खिली मुस्कान ले आती हैं और हम सबको हँसाती हैं
जिसे हर कोई जीना चाहता हैं,पर वो कभी दुबारा नही आ पाता हैं
सिर्फ यादों और अहसासों मे बसे रहते हैं बचपन के वो दिन
काश कोई मेरा बचपन लौटा दे,प्यार भरे वो पल लौटा दे
आभारी विमला
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
लिखने मे गलती हो तो क्षमाप्राथी🙏🙏
picture taken from google
Bachpan wakai bhualye na bhula jata
LikeLiked by 1 person
सही बोला आपने
LikeLike
Bahut sahi kaha apne, bachpan k din bahut nirale hote the aaj jab bachpan ko yaad krte h to hontho pe hansi aur anko mai nami aa jate h
LikeLiked by 1 person
Thanks
Bachpan hota hi aaisa hn
LikeLiked by 1 person
Bachpan ki kahaaniyaa padhkar apni kahaani barbas hi yaad aa jaati hai… bahut khub.
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद आपको अच्छी लगी
बचपन को याद करके मन खुश हो जाता है
LikeLiked by 1 person
बहुत ही खूबसूरत रचना है आपकी बचपन की। आपने तो याद दिला दिया बचपन।
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद आपको अच्छी लगी
LikeLike