जिंदगी की किताब -पन्ना # 205
जिंदगी ….
जिंदगी की किताब कुछ ऐसी ही है यारों
जहॉ हर रोज नित नये पन्ने खुलते है !!
कभी खट्टे पन्ने खुलते है
तो कभी मीठे पन्ने खुलते है !!
कभी फीके पन्ने खुलते है
तो कभी नमकीन पन्ने खुलते है !!
कभी तीखे पन्ने खुलते है
तो कभी कड़वे पन्ने खुलते है !!
कभी ख्वाबो के महल बनते है
तो कभी ख्वाबो के महल बिगड़ते है !!
कभी कुछ कहने का मन करता है
तो कभी मौन रहने को मन करता है !!
कभी हँसने का मन करता है
तो कभी रोने का मन करता है !!
कभी कुछ याद करने का मन करता है
तो कभी भूल जाने का मन करता है !!
हर पल कुछ ना कुछ कहने को मन करता है
फिर भी कुछ कहा ना जाता है !!
जिस पर भरोसा किया ,उसने दिया नही !!
जिसने सपने दिखाये ,उसने पूरा किया नही !!
जिस पर जान दी ,उसने जाना नही !!
जिसको मान दिया ,उसने माना नही !!
इसी उठापटक ,कश्मकश मे जिंदगी पूरी हो जाती है !!
फिर भी किताब की हर पन्ने की कहानी अधूरी रह जाती है !!
फिर भी किताब की हर पन्ने की कहानी अधूरी रह जाती है !!
आभारी विमला
लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना 🙏🙏
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
कविता अच्छी है।
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आपको अच्छी लगी । आभार
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Behatrin likha hai apne….👌👌👌
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आपने सराहा बहुत धन्यवाद
अभी भी लिखने मे बहुत कमियॉ है
फिर भी कोशिश करूँगी आपकी तरह बेहतर सुंदर ढंग से लिख सकूँ ।
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क्या बात—बहुत बड़ी बात बोल दिया आपने।मैं भी आपके जैसा हूँ।वहुत अच्छा लिखा आपने कमी सबमे है, फिर क्यों ना हम सिर्फ खासियत देखें।सुक्रिया आपका।।
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बहुत खूब लिखा दी आपने।
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धन्यवाद
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😊
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VERY NICE
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