तीर्थंकर भगवान श्री सीमंधर स्वामी का परिचय …….
तीर्थंकर का अर्थ है पूर्ण चंद्रमा,जिन्हें आत्मा का संपूर्ण ज्ञान हो चुका है ।
ब्रह्मांड के मध्यलोक जिसका आकार गोल है उसमे 15 प्रकार के क्षेत्र है ।
मनुष्य के जन्म लेने व रहने लायक ये 15 क्षेत्र है ।उनके नाम इस प्रकार है —
पॉच भरतक्षेत्र ,
पॉच ऐरावत क्षेत्र,
पॉच महाविदेह क्षेत्र
जहॉ हम रह रहे है वह भरतक्षेत्र है । यहॉ आरे(पहला,दूसरा ,तीसरा चौथा,पॉचवॉ,छठा आरा) बदलते रहते है ।
अभी यहॉ पाँचवे आरा चल रहा है । इस आरे मे तीर्थंकर नही होते है ।
भरतक्षेत्र व ऐरावत क्षेत्र मे,वर्तमान काल मे तीर्थंकर नही विचरते है
महाविदेह क्षेत्र मे चौथा आरा है ,जहॉ सदा तीर्थंकर जन्म लेते है और विचरते है ।
महाविदेह क्षेत्र मे भी मनुष्य है ,हमारे जैसे मनोभाव वाले देहधारी है । वहॉ आयुष्य बहुत लम्बा होता है । वहॉ भी कर्मभूमि है ।अहंकार ,क्रोध,मान माया,लोभ भी है । वहॉ चौथा आरा होने की वजह से तीर्थंकर होने के साथ मन -वचन -काया की एकता होती है । हमारे यहॉ पाँचवा आरा होने की वजह से तीर्थंकर नही होने के साथ मन-वचन-काया की एकता टूट गई है । यही फ़र्क़ है चौथे और पॉचवे आरे मे । बाकी वहॉ सारी बाते हमारे जैसी है ।
हमारे भरतक्षेत्र के अलावा 14 और क्षेत्र है उन क्षेत्रों मे भी हमारे जैसे ही मनुष्य है । हमारे यहॉ कलयुगी है । वहॉ कही सतयुगी है तो कही कलयुगी ।
श्री सीमंधर स्वामी वर्तमान तीर्थंकर साहिब है । वे अपने यहॉ नही पर दूसरी भूमी पर है वहॉ मनुष्य जा नही सकते । वे इस पृथ्वी से बाहर दूसरे क्षेत्र ,महाविदेह क्षेत्र मे तीर्थंकर के रूप मे हाजिर है । हमारे भारत वर्ष के ईशान कोण मे करोड़ों किलोमीटर की दूरी पर जंबुद्वीप के महाविदेह क्षेत्र की शुरूआत होती है । ये सब हमारी बुद्धि से परे है
हमारी पृथ्वी (भरतक्षेत्र) पर पिछले 2400 साल से तीर्थंकरों का जन्म होना बंद हो चुका है । वर्तमान काल के सभी तीर्थंकर मे से तीर्थंकर सीमंधर स्वामी हमारी पृथ्वी के सबसे नज़दीक है और उनका भरतक्षेत्र के सभी जीवों के साथ ऋणानुबंध है ।
सीमंधर स्वामी भगवान की उम्र अभी 1,50,000 साल है । और ये अभी अगले 1,25,000 सालों तक जीवित रहेंगे । वे सारी दुनिया देख सकते है लेकिन हम उन्हे नही देख सकते ।
श्री सीमंधर स्वामी प्रभु के कल्याणयज्ञ के निमित्तों मे चौरासी गणधर,दस लाख केवलीज्ञानी महाराजा,सौ करोड़ साधु,सौ करोड़ साध्वियाँ ,नौ सौ करोड़ श्रावक व नौ सौ करोड़ श्राविका है । उनके शासन रक्षक यक्षदेव श्री चांद्रायणदेव और यक्षिणीदेवी श्री पांचागुली देवी है ।
आनेवाले चौबीसी के आठवें तीर्थंकर श्री उदयस्वामी के निर्वाण के पश्चात और नौवें तीर्थंकर श्री पेढालस्वामी के जन्म पूर्व श्री सीमंधर स्वामी और अन्य उन्नीस विहरमान तीर्थंकर भगवंत श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया के अलौकिक दिन को चौरासी लाख पूर्व की आयु पूर्ण करके निर्वाण पद को प्राप्त करेंगे ।
अत: उनके प्रति भक्ति और समर्पण से हमारा अगला जन्म महाविदेह क्षेत्र मे हो सकता है और भगवान सीमंधर स्वामी के दर्शन प्राप्त करके हम आंत्यातिक मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है ……कभी आगे के लेख मे आरा क्या है व इसमें मनुष्य कैसे होते है उसके बारे मे ज़िक्र करेंगे ।
ये सारी जानकारी शास्त्र व दादा भगवान द्वारा कथित है जो कि ज्ञानी पुरूष,चौदह लोक के नाथ है ।
ये भजन दादा भगवान फ़ाउंडेशन के सौजन्य से ……
लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना🙏🙏
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
picture taken from google
EK NAYEE JAANKAARI……HARI ANEK HARI KATHA ANEKAA…..
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Thanks
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wah!vimlaji ,bahut achha laga aaapne jaiin dharm ki itni achhi jankari d..har dharm ka apne aap me ek behtar vajood he.. me jain hu or muze garv he.jai jjinendra.
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Thanks.aapko accha laga.
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Jj
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