सुंदरता को लेकर
मन मे आया एक विचार
और भगवान से किया सवाल ?
“भगवन ” तुम पिता होकर भी
करते हो इतना भेदभाव
आखिर ऐसा क्यूँ करते हो ?
किसी बंदे को बनाया सुंदर तो
किसी को बना दिया कुरूप !!
सभी को सुन्दर बनाने में
आपका क्या जाता है ?
हँसकर बोले “भगवान ”
भेदभावी हूँ जरा भी नही !!
बनाया मैने जब मिट्टी का पुतला
रखी मात्रा एक समान
फिर डाल दी उनमें जान !!
फर्क बस इतना ही है वत्स
एक की सुंदरता रह गई बाहर
दूसरे की समा गई अंदर !!
मन की ऑखो से देखो
तो समझ पाओगे
फिर दोनो लगेंगे एक समान !!
लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना 🙏🙏
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
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बहुत ही अच्छा लिखा है और सच भी है।
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सुंदरता के लिये खूबसूरत दिल ही काफी है 😊
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