दयालुता(kindness)….
इंसान जितना दयालु होगा उतना ही महान होगा । हमें हर व्यक्ति ,जीवों के प्रति दयालुता का भाव रखना चाहिये ।
सज्जन लोग सदैव दया करनेवाले और करुणाशील होते हैं ।दया के छोटे छोटे काम,प्रेम से बोला गया छोटा शब्द किसी भी इंसान को बहुत शकुन देता हैं।
दानशीलता ह्रदय से पनपती हैं….हमें इंसान के अलावा अन्य जीवों के प्रति भी करूणा रखनी चाहिये ,तभी हमारा मनुष्य जीवन सार्थक होगा। दयालुता किसी के भी प्रति हो सकती हैं इसी संदर्भ मे एक कहानी पढिये……
एक राजा के तीन पुत्र थे ।एक बार राजा ने तीनों पुत्रों को बुलाकर कहा कि जो भी दस दिन मे सबसे अच्छा काम करके बतायेगा उसको मैं हीरे की अंगुठी इनाम मे दूगॉ ।तीनों अच्छा काम करने के लिये राजमहल के बाहर चले गये ।दस दिन बाद तीनों लौटकर आये और अच्छा काम बताने लगे ।पहले पुत्र ने बताया कि एक आदमी को कुछ रूपयों की सख़्त आवश्यकता थी वह आत्महत्या करने जा रहा था मैने उसको रूपये देकर मदद की और बचाया । तो राजा ने कहा कि ये तुम्हारा धर्म था ।दूसरे पुत्र ने बताया कि मैने तालाब मे डूबते हुए एक युवक को बचाया तो राजा बोले कि ये भी मनुष्य का धर्म है । तीसरे राजकुमार ने कहा कि मैने अपने शत्रु को पहाड़ के ऐसे स्थान पर सोते देखा ,जहॉ से खिसकते ही उसके प्राणो का अंत हे सकता था परंतु मैने उसे जगाकर सुरक्षित जगह पर सुला दिया। पिता ने हीरे की अँगूठी तीसरे राजकुमार को यह कहकर दे दी कि शत्रु पर दयालुता का व्यवहार करना सबसे अच्छा काम हैं ।
दयालुता से क्रूर प्राणी का भी ह्रदय परिवर्तित हो सकता है ।दयालुता की भावना इंसान को अच्छाइयों की तरफ ले जाती है, ऐसे लोगों में प्रेम और अपनत्व की भावना होती है ।
दयालुता से किसी को क्षमा करने की प्रवृत्ति इस प्रकार से हो जाती है कि नुकसान पहुंचाने वाले को भी क्षमा कर पाते हैं ।दयालुता से हमारे अंदर प्रेम की भावना पनपती हैं और हम बड़ी आसानी से दूसरों की भावनाओं से खुद को जोड़ पाते हैं।
जो लोग दयालु होते हैं उन्हें पैसे का लालच बिलकुल भी नहीं होता, वे हमेशा दूसरों की तकलीफ़ और सेवा भाव को ही महत्व देते हैं । पढिये इस कहानी मे ….
एक गॉव मे दो भाई रहते थे ।दोनो भाई अपने पुरखो के खेत में काम करते थे। उनमें से एक की शादी हो चुकी थी और बच्चे सहित उसका बड़ा परिवार था ।जबकि दूसरा भाई कुंवारा था। दोनो साथ मे रहते थे लेकिन खेती से जो भी आय होती वह दोनो आधी आधी बॉट लेते । एक दिन सोते समय कुंवारे भाई के दिमाग़ मे ये बात आई कि मेरी तो अभी शादी भी नही हुई हैं इस कारण मेरा ख़र्चा भी कम हैं ।मुझे तो कम हिस्सा लेना चाहिये जबकि बड़े भाई पर बीबी बच्चों सहित पूरे परिवार का बोझ है उन्हे तो पैसे की मुझसे ज्यादा ज़रूरत है इसके लिये मुझे कुछ करना चाहिये ।इसलिए जब रात हुई तो उसने अनाज से भरा एक बौरा उठाया और उसे चुपके से भाई के भंडार में मिला दिया। दूसरी ओर बड़ा भाई जिसने शादी कर ली थी उसने सोचा कि मेरे भाई की अभी तक शादी भी नही हुई हैं उसके भविष्य के बारे मे सोचना चाहिये । मेरा जीवन तो सेट हो गया है किन्तु उसके भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। वो भी जब रात हुई तो उसने अनाज से भरा एक बौरा उठाया और कुंवारे भाई के अनाज के भंडार में मिला दिया।
कुछ दिनो तक ये सब चलता रहा लेकिन दोनों भाइयों को इस बात पर हैरानी थी कि दोनों के अनाज के भंडार बराबर है ।एक दिन भंडार कक्ष में जाते समय दोनो भाईयों का आमना सामना हो गया। दोनों के सिर पर अनाज का बौरा था । थोड़ी देर तक आश्चर्यचकित होकर एक दूसरे को देखते रहे ।अब उन्हे भंडार कम न होने की बात समझ मे आ चुकी थी । दोनों ने अपने बौर्रा ज़मीन पर रखा और एक दूसरे को गले लगा लिया
दयालुता की भावना इंसान को अच्छाइयों की तरफ ले जाती है, ऐसे लोगों में प्रेम और अपनत्व की भावना होती है । इसमें किसी को क्षमा करने की प्रवृत्ति नुकसान पहुंचाने वाले को भी क्षमा कर सकें ऐसी हो जाती हैं ।
दयालुता से हमारे अंदर प्रेम की भावना पनपती हैं ।दयालुता से हम बड़ी आसानी से दूसरों की भावनाओं से खुद को जोड़ पाते हैं। जो लोग दयालु होते हैं उन्हें पैसे का लालच बिलकुल भी नहीं होता, वे सेवा भाव को ही महत्व देते हैं । दयालु व्यक्ति लोगों से ईर्ष्या नहीं रखते बल्कि दूसरों की मदद करने की हमेशा तत्पर रहते है।
खुद के प्रति दयालुता की भावना भी स्वयं को दयालु बनाती है, अगर हम खुद से प्यार नहीं करते हैं तो दूसरों के प्रति बिलकुल भी दयालु नहीं हो सकते। इसलिए दयालु होने के लिए बहुत जरूरी है कि हम खुद को प्यार करें, अपने आप को सम्मान दें।
दयालु व्यक्ति हमेशा अपनी भावनाओं और विचारों को दूसरों को सुनाना चाहते हैं। जिससे कि लोग उनके आदर्शों और विचारों के सुनकर चलना सीखें और इनके द्वारा दिखाये गये रास्ते पर चलने से सबका भला हो और लोग अच्छाई के रास्ते पर चलें ।
दयालु होने से दिमाग भी शांत होगा जिससे आसानी से एक ही काम पर ध्यान केंद्रित कर उस कार्य को पूरा कर पाने में सफल होंगे।
दयालु होने पर हम अपनी भावनाओं का सही संतुलन बनाकर काम करते हैं तो आसानी से लोगों की मदद कर पाते हैं। अगर अपनी भावनाओं के साथ-साथ दिमाग का भी प्रयोग करते हैं तो हमारी नैतिक भावनायें और भी प्रबल हो जाती हैं। दिमाग का प्रयोग करके हम यह जान पाते हैं कि अन्य लोगों की भावनायें कैसी हैं।
जीव जंतुओं और जानवरो के प्रति भी दया का भाव होना चाहिये ।जानवरो से भी प्यार करो, हो सके तो जीवो पर दया कीजिये। उन्हें कुछ ऐसा मत दीजिये जो उनके लिए नुकसानदायक हो। अगर आपके आसपास किसी जीव को आपकी जरुरत हो , अगर थोडा सा समय भी हो तो उसे देने कि कोशिश करिये। अगर उन्हें कोई सताता है तो उन्हें छेड़ने , मारने, नुक्सान पहुचाने वाले लोगो को समझाने की कोशिश करे और उन्हे सताने से रोके ।
इस प्रकार हमे इंसानों और जानवरों दोनो के प्रति दयालुता का भाव रखना चाहिये।
आपकी आभारी विमला मेहता
जय सच्चिदानंद 🙏🙏
लिखने मे गलती हो तो क्षमायाचना 🙏🙏
https://imahammadsharif.wordpress.com/2017/09/09/40/
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